Chapter 3- आंरभिक नगर Initial City

हड़प्पा की कहनी :- लगभग 150 साल पहले जब पंजाब में पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं , तो इस काम में जुटे इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला , जो आधुनिक पाकिस्तान में है। यह सभ्यता सिंघु नदी के निकट विकसित हुई। यह सभ्यता 4700 साल पहले विकसित हुई। इस नगर की खोज सबसे पहले हुई थी इस लिए बाद में इस तरह के मिलने वाले सभी पुरषथालो में जो इमारते और सभी चीजों को जो मिली उन्हें हड़प्पा सभ्यता की इमारते कहा गया
हड़प्पाई नगरों की विशेषता :- इन नगरों को हम दो या उससे ज्यादा हिस्सों में बाँट सकते है
1. नगर दुर्ग – यह पश्चिम भाग था और यह ऊँचाई पर बना था तथा अपेक्षाकृत छोटा था
2. निचला -नगर – यह पूर्वी भाग था और यह निचले हिस्से पर बना था यह बड़ा भाग था।
दोनों हिस्सों की चारदीवारी पक्की ईट की बनाई गई थी
मोहनजोदड़ो :- इस नगर में विशाल स्नानागार मिला यह स्नानागार ईट व प्लास्टर से बनाया गया था इसमें पानी का रिसाव रोकने के लिए प्लास्टर लिए प्लास्टर के ऊपर चॉकोल की परत चढ़ाई गई थी। इस सरोवर में दो तरफ़ से उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी थीऔर चारों ओर कमरे बनाए गए थे। कालीबंगा और लोथल से अग्निकुंड मिले है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से भंडार ग्रह मिले है।
भवन , नाले , और सड़कें :- इन नगरों के घर आमतौर पर एक या दो मंजिले होते थे। घर के आँगन के चारों ओर कमरे बनाए जाते थे। अधिकांश घरो में एक अलग स्नानघर होता था और कुछ घरों में कुएँ भी होते थे। कई नगरों में ढके हुए नाले थे। जल निकासी प्रणाली काफी विकसित थी। घर , नाले और सड़को का निर्माण योजनाबद्ध तरिके से किया गया था।
फेयॉन्स – बालू या स्फटिक पत्थरो के चूर्ण को गोंद में मिलाकर तैयार किया गया पदार्थ।
कच्चा मॉल -जो प्राकृतिक रूप से मिलते है या फिर किसान या पशुपालक उनका उत्पादन करते है। मेहरगढ़ – 7000 साल पहले कपास की खेती होती थी।
कच्चे माल का आयत :- ताँबा – राजस्थान और ओमान से, सोना – कर्नाटक, टिन – ईरान , बहुमूल्य पत्थर – गुजरात ईरान अफगनिस्तान अफगनिस्तान बहुमूल्यपत्थर
भोजन :- हड़प्पाई लोग जानवर पालते थे और अनाज उगते थे – यहाँ लोग गेंहूँ , जौ , दाल , मटर , धन , तिल और सरसों उगाते थे – जुताई के लिए हल का प्रयोग होता था और सिंचाई के लिए जल संचय किया जाता होगा।
हड़प्पा के लोग – गाय , भैंस , भेड़ ,बकरियाँ पालते थे तथा बेर को इकट्ठा करना मच्छलियाँ पकड़ना तथा हिरण जैसे जानवरो का शिकार करते थे।
धौलावीरा :- ( गुजरात )खदिर बेट के किनारे बसा था। इस नगर को तीन भागों में बाँटा गया था हर हिस्से के चारो और पत्थर की ऊँची दीवारे बनाई गई थी। इसमें बड़े बड़े प्रवेश द्वार थे एक खुला मैदान था जिसमे सार्वजानिक कार्यक्रम आयोजन किये जाते होंगे इस स्थान पर हड़प्पा लिपि के बड़े बड़े अक्षर को पत्थर में खुदा पाया गया है।
लोथल :- खम्भात की खड़ी में मिलने वाली साबरमती उपनदी के किनारे बसा था. यहाँ शंख , मुहरे , मुद्रांकन या मुहरबंदी , भंडार गृह मिले है
सभ्यता के अंत के कारण :-
1. नदियाँ सुख गई
2. जंगलो का विनाश
3. बाढ़ आ गई
4. चरागाह समाप्त हो गए
5. शासको का नियंत्रण समाप्त हो गया युद्व इत्यादि।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
● मेहरगढ़ में कपास की खेती (लगभग 7000 साल पहले)
● नगरों का आरंभ (लगभग 4700 साल पहले)
● हड़प्पा के नगरों के अंत की शुरुआत (लगभग 3900 साल पहले)
● अन्य नगरों का विकास (लगभग 2500 साल
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