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2- आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक, Hunting – From food collection to food production

आंरभिक नगर :-   आखेटक – खाद्य संग्राहक – यह इस महाद्वीप में 20 लाख वर्ष पहले रहते थे इन्हे यह नाम भोजन का इंतजाम करने की विधि के आधार पर दिया गया है भोजन ( जनवरो का शिकार , मच्छलियाँ , चिड़ियाँ , फल -फूल , दाने , पौधों -पतियाँ , अंडे इत्यादि। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने का कारण :- भोजन की तलाश में इन्हे एक स्थान से दूसरे स्थान जाना पड़ता था चारा की तलाश में  या जानवरों का शिकार करते थे हुए एक स्थान से दूसरे स्थान  अलग-अलग मौसम में फल की तलाश पानी की तलाश में  इन लोगो ने काम के लिए पत्थरो।, लकड़ियों और हड्डियों के औजार बनाए थे। पुरास्थल :-   उस स्थान को कहते है जहाँ औजार , बर्तन और इमारतें जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है भीमबेटका :-  मध्य प्रदेश इस पुरास्थल पर गुफाएँ व कंदराएँ मिली है जहाँ लोग रहते थे नर्मदा घाटी के पास स्थित है   कुरनूल गुफा : –  आंध्र प्रदेश यहाँ राख के अवशेष मिले है। इसका इस्तेमाल प्रकाश , मांस , भुनने व् खतरनाक जानवरो को दूर भगाने के लिए होता था लगभग 12000 साल पहले जलवायु में बड़े बदला आए और इसके परिणामस्वरूप कई घास वाले मैदान बनने लगे और हिरण।, बारहसिंघा , भेड़ , बकर

क्या ,कब, कहाँ और कैसे, what, when, where and how

लोग कहाँ रहते थे :-    नर्मदा (मध्य प्रदेश ) कई लाख वर्ष पहले से लोग यहाँ रह रहे थे , वह कुशल संग्राहक थे , भोजन जड़ , फलो , जंगलो  के उत्पादों पर निर्भर ,जानवरो का शिकार करते थे उत्तर-पश्चिम सुलेमान व् किरथर पहाड़ियाँ (पाक- अगनिस्तान सीमा ) :-  इस स्थान पर आठ वर्ष पूर्व स्त्री -पुरषों ने सबसे पहले गेंहूँ और जौ फसलों को अपनाया आरंभ किया तथा भेड़ , बकरी , गाय , बैल को पालतू बनाया और गाँवो में रहते थे लोग  उत्तर-पूर्व में गारो तथा मध्य भारत में विंध्य पहाड़ियाँ :-   गारो -असम विंध्य पहाड़ियाँ – मध्य प्रदेश यहाँ पर कृषि का विकाश हुआ , सर्वप्रथम चावल विंध्य के उत्तर में उपजाया गया था  सिंध व सहायक नदी :-   4700 वर्ष पूर्व आंरभिक नगर फल , फुले , गंगा व तटवर्ती इलाके में 2500 वर्ष पूर्व नगरों का विकास गंगा व सोन नदी – गंगा के दक्षिण में प्रचीन काल में ‘ मगध की स्थापना ‘  देश का नाम : – ‘इण्डिया ‘ शब्द इंडस से निकला है जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है ईरान और यूनान वासियों ने सिंधु को हिंडोस अथवा इंडोस कहा और इस नदी के पूर्व के भूमि प्रदेश को इण्डिया कहा भारत नाम का प्रयोग उत्तर-पश्चिम में रहने

Chapter 3- आंरभिक नगर Initial City

  हड़प्पा की कहनी :-  लगभग 150 साल पहले जब पंजाब में पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं , तो इस काम में जुटे इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला , जो आधुनिक पाकिस्तान में है। यह सभ्यता सिंघु नदी के निकट विकसित हुई। यह सभ्यता 4700 साल पहले विकसित हुई।  इस नगर की खोज सबसे पहले हुई थी इस लिए बाद में इस तरह के मिलने वाले सभी पुरषथालो में जो इमारते और सभी चीजों को जो मिली उन्हें  हड़प्पा   सभ्यता  की इमारते कहा गया हड़प्पाई नगरों की विशेषता :-  इन नगरों को हम दो या उससे ज्यादा हिस्सों में बाँट सकते है 1. नगर दुर्ग –  यह पश्चिम भाग था और यह ऊँचाई पर बना था तथा अपेक्षाकृत छोटा था 2. निचला -नगर –  यह पूर्वी भाग था और यह निचले हिस्से पर बना था यह बड़ा भाग था। दोनों हिस्सों की चारदीवारी पक्की ईट की बनाई गई थी  मोहनजोदड़ो :-   इस नगर में विशाल स्नानागार मिला यह स्नानागार ईट व प्लास्टर से बनाया गया था इसमें पानी का रिसाव रोकने के लिए प्लास्टर लिए प्लास्टर के ऊपर चॉकोल की परत चढ़ाई गई थी। इस सरोवर में दो तरफ़ से उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी थीऔर चारों ओर कमरे बनाए गए थे।  कालीबंगा और लोथल से अग्

अध्याय 5 : राज्य राजा और एक प्राचीन गणराज्य, Chapter 5: The Kingdom King and an Antiquity

राज्य राजा और एक प्राचीन गणराज्य

3000 साल पहले राजा बनने की प्रकिया में कुछ बदलाव आए।अश्वमेघ यज्ञ आयोजित करके राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।



शासक : 3000 साल पहले राजा बनने की प्रकिया में कुछ बदलाव आए।अश्वमेघ यज्ञ आयोजित करके राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। अश्वमेघ यज्ञ करने वाला राजा बहुत शक्तिशाली माना जाता था।  महायज्ञों को करने वाले राजा अब जन के राजा न होकर जनपदों के राजा माने जाने लगा। जनपद का शब्दिक अर्थ जन के बसने की जगह होता है।

अश्वमेघ यज्ञ : इस यज्ञ में रक घोड़े को राजा के लोगो की देखरेख में स्वतंत्र विचरण के लिए छोड़ दिया जाता था इस घोड़े को किसी दूसरे राजा ने रोका तो उसे वहाँ अश्वमेघ यज्ञ करने वाले राजा से युद्ध करना होगा अगर उसे जाने दिया तो अश्वमेघ यज्ञ वाला राजा अधिक शक्तिशाली है। यज्ञ पुरोहित द्वारा संपन्न होता था तथा विभिन राजा को आमंत्रित किया जाता था।

उत्तर वैदिक ग्रन्थ : जो ग्रन्थ ऋगवेद के बाद रचे गए जैसे – सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद, उपनिषद। 


वर्ण :- पुरोहितों ने लोगों को चार वर्गों में विभाजित 

ब्राह्मणवेदों का अध्ययन-अध्यापन और यज्ञ करना
क्षत्रिययुद्ध करना और लोगों की रक्षा करना
वैश्यकृषक , पशुपालक , और व्यापारी
शूद्रतीनों वर्णों की सेवा करना

जनपद :- जनपद का शब्दिक अर्थ जन के बसने की जगह होता है। महायज्ञों को करने वाले राजा अब जन के राजा न होकर जनपदों के राजा माने जाने लगे।  इन में लोग झोपड़ियों में रहते थे और मवेशी तथा जानवरो को पालते थे चावल, गेहू ,धान, जो, दाल, तिल, सरसो उगते थे कुछ जनपद है। 

दिल्ली पुराना किला 
उत्तर प्रदेश हस्तिनापुर 
एटा अतरंजीखेड़ा 

महाजनपद :-  2500 साल पहले , कुछ जनपद अधिक महत्वपूर्ण हो गए। इन्हे महाजनपद कहा जाने लगा। अधिकतर महाजनपदों की एक राजधानी होती थी। कई राजधानियों में किलेबंदी की गई थी अर्थात इनके चारों ओर विशाल , ऊँची और प्रभावशाली दीवार खड़ी कर अपनी समृद्धि और शक्ति का प्रदर्शन भी करते थे इस तरह क्षेत्रों पर नियत्रंण रखना भी सरल हो गया



कर :-  महाजनपदों के राजा विशाल किले बनवाते थे और बड़ी सेना रखते थे इसलिए अब नियमित रूप से कर वसूलने लगे। – अधकांश लोग कृषक ही थे प्राय: फसल का उपज का 1/6 हिस्सा कर लेते थे। –करीगरों के ऊपर भी कर लगाए गए श्रमिकों को राजा के लिए महीने में एक दिन काम करना पड़ता था

पशुपालक :- जानवरों या उनके उत्पाद के रूप में कर देना पड़ता था।

व्यपारियों :- सामान खरीदने-बेचने पर भी कर देना पड़ता था।

आखेटकों :- जंगल से प्राप्त वस्तुएँ देनी होती थीं।

 

कृषि में परिवर्तन :- इस युग में कृषि के क्षेत्र में दो बड़े परिवर्तन आए

1. हल के फाल अब लोहे के बनने लगे जिससे अब कठोर जमीन को आसानी से जोता जा सकता था इससे फ़सलों की उपज बढ़ गई।

2. लोगो ने धान के पौधों का रोपण शुरू किया जिससे अब पहले से की तुलना में बहुत पौधे जीवित रह जाते थे , इसलिए पैदावार भी ज़्यादा होने लगी। सूक्ष्म- निरीक्षण

 

मगध :- लगभग दो सौ सालों के भीतर मगध सबसे महत्वपूर्ण जनपद बन गया। गंगा और सोन जैसी नदियाँ मगध से होकर बहती थीं। मगध का एक हिस्सा जंगलो से भरा था। इन जंगलो में रहने वाले हाथियों को पकड़ कर उन्हें प्रशिक्षित कर सेना के काम में लगाया जाता था।

मगध :- बिम्बिसार  मगध का शक्तिशली शासक था आजातशत्रु  राजगृह में स्तूप का निर्माण। करवाया।

महापदमनंद :- एक और महत्वपूर्ण शासक थे। उन्होंने अपने नियंत्रण का क्षेत्र इस उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग तक फैला लिया था। बिहार में राजगृह (आधुनिक राजगीर) कई सालों तक मगध की राजधानी बनी रही और बाद में पाटलिपुत्र ( आज का पटना ) को राजधानी बनया गया

वज्जि : इसकी राजधानी वैशाली थी यह मगध के समीप था यहां शासन व्यवस्था गण /संघ थी.  इन गण /संघ में कई  शासक होते थे कभी कभी लोग एक साथ शासन करते थे वे सभी राजा होते थे  


2300 साल पहले मेसीडोनिया का राजा सिकन्दर विश्व-विजय करना चाहता था। वह मिस्र और पश्चिमी एशिया के कुछ राज्यों को जीतता हुआ भरतीय उपमहाद्वीप में व्यास नदी के किनारे तक पहुँच गया। जब उसने मगध की और कूच करना चाहा , तो उसके सिपाहियों ने इंकार कर दिया। वे इस बात से भयभीत थे की भारत के शासकों के पास पैदल , रथ हाथियों की बहुत बड़ी सेना थी।

कुछ महत्त्वपूर्ण  तिथियाँ

● नए शासक

(लगभग 3000 साल पहले)

● महाजनपद

(लगभग 3000 साल पहले)

● सिकन्दर का आक्रमण, दीर्घ निकाय का लेखन 

लगभग 2300 पहले) 

●गण या राज्यों का अंत 

लगभग 1500पहले)

और अधिक जानने के लिए यहाँ चेक करे.




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